रणथंभौर : 21 अक्टूबर 2021।
मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021, राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में शाम की सफारी के दौरान एक बाघिन अपने दो नये शावकों के साथ नजर आयी। वन विभाग के मुताबिक, माँ बाघिन की पहचान T-107 के रूप में हुई, जो रणथंभौर में सुल्ताना के नाम से प्रसिद्ध है। बाघिन सुल्ताना अपने नये शावकों के साथ पर्यटन जोन एक में पहली बार दिखाई दी है। इससे पहले माँ बाघिन, पहली बार अपने दो नये शावकों के साथ 8 नवम्बर 2020 में अमरेश्वर वन क्षे़त्र केमरा ट्ैप (camera trap) कैद हुई थी। सुल्ताना का यह पहला प्रसव है। शावकों (Tiger cubs) की उम्र तेरह महीने के आस-पास है। इस खुश खबरी से पर्यटन से जुड़े लोग बहुत खुश है।
नये शावकों की शुभ खबर आते ही रणथंभौर बाघ परियोजना के उप वन संरक्षक ने बाघिन के इलाके की मॉनिटरिंग बढ़ा दी, जिससे बाघिन और शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
बाघिन, सुल्ताना उर्फ 107 पहली बार माँ बनी
बाघिन सुल्ताना उर्फ T-107 रणथंभौर की एक युवा और खूबसूरत बाघिन है, जिसका विचरण क्षेत्र, जोन नम्बर एक और उसके आस-पास का इलाका है, जिसकी उम्र लगभग पांच साल प्लस की है। माँ, बाघिन, T-107 पार्क में पहली बार 8 नवम्बर 2016 को जोन एक में दिखाई दी, जो बाघिन नूर ( T-39) के चौथे प्रसव की संतान है। इस चौथे प्रसव में, बाघिन, नूर ( T-39) ने तीन मादा शावकों को जन्म दिया, जो वयस्क हो कर नूरी ( T-105) ,सुल्ताना ( T-107) के नाम से जाने जाते हैं, जबकि बाघिन, T-106 को मुकंदरा हिल टाईगर रिजर्व शिफ्ट कर दिया, जहां उसकी मौत हो गयी।
रणथंभौर नेशनल पार्क
रणथंभौर नेशनल पार्क 70 से ज्यादा बाघों का घर है, जो 1955 में सवाई माधोपुर वन्यजीव अभयारण्य बना। सन 1973 में, पार्क को प्रोजेक्ट टाईगर घोषित किया गया और 1980 में, इसे नेशनल पार्क का दर्जा हासिल हुआ।
इससे पहले रणथम्भौर में बाघिन T- 84 उर्फ ऐरोहेड जोन-3 और T-111 उर्फ वाव् जोन नंबर चार में अपने-2 नये शावकों के साथ नजर आयी थी।
इस लेख को आप English में भी पढ़ सकते हैं।