रणथंभौर : रणथंभौर नेशनल पार्क में, विश्व विख्यात बाघिन एरोहेड ( T-84) अपने तीन नये और नन्हें शावकों के साथ, जोन नंबर तीन में शुक्रवार शाम को विचरण करते हुए दिखाई दी। 16 जुलाई 2021, शुक्रवार शाम को बाघ की मॉनिटरिंग करने गये, वनकर्मचारियों ने इसकी जानकारी दी।
इससे पूर्व, 13 जुलाई 2021, मंगलवार को मॉनिटरिंग के दौरान, वनकर्मचारियों ने पहली बार, बाघिन एरोहेड को दो शावकों के साथ जोन नंबर 2 में देखा था, जब दो शावको अपनी माँ के साथ-साथ चल रहे थे। वन अधिकारियों के अनुसार, बाघिन एरोहेड के शावक लगभग डेढ़ से दो माह के हैं। बाघिन के साथ शावकों के नजर आते ही, रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर टी. सी. वर्मा ने बाघिन के इलाके में मॉनिटरिंग बढ़ा दी है, जिससे बाघिन और शावकों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा सके।
बाघिन एरोहेड (tigress Arrowhead), तीसरी बार बनी माँ :
रणथंभौर में, एरोहेड एक प्रभावी और वयस्क बाघिन है। उसकी उम्र करीब सात साल प्लस की है, जो पार्क में पहली बार 23 मार्च 2014 में दिखाई दी। बाघिन एरोहेड, बाघिन कृष्णा (T-19) के दूसरे प्रसव की सन्तान है, जिसकी नानी मछली (T-16) थी, जो रणथंभौर की माँ के नाम से प्रसिद्ध थी। अतः बाघिन एरोहेड, मछली के राजवंश से है। बाघिन एरोहेड को जूनियर मछली भी कहा जाता है। वर्तमान समय में, बाघिन एरोहेड, रणथंभौर की रानी के नाम से मशहूर है। बाघिन ने अपना पहला प्रसव फरवरी 2018 में दिया, जिसमें दो शावक थे। लेकिन वे सर्वाइव नहीं कर पाए।
दिसम्बर 2018 में, बाघिन ने अपना दूसरा प्रसव दिया, जिससे बहुचर्चित बाघिन रिद्धि (T-124) और सिद्धि (T-125) का जन्म हुआ, जो पार्क में पहली बार 2 जनवरी 2019 को दिखाई दी।
रणथंभौर नेशनल पार्क :
रणथंभौर नेशनल पार्क 70 से ज्यादा बाघों का घर है, जो 1955 में सवाई माधोपुर वन्यजीव अभयारण्य बना। सन 1973 में, इस पार्क को प्रोजेक्ट टाईगर घोषित किया गया और 1980 में, इसे नेशनल पार्क का दर्जा हासिल हुआ।