Ranthambore : 4 अगस्त 2021।
रणथंभौर बाघ परियोजना में, बाघ T-65 उर्फ सूरज की मौत, दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, इस बात का खुलासा, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) द्वारा भेजी गयी विसरा रिर्पोट में किया गया। बाघ की मौत काफी संदिग्ध हालात में हुई क्योंकि बाघ सूरज का शव एक तालाब में तैरता हुआ मिला था। इसलिये वनविभाग को संदेह था कि कहीं बाघ,T- 65 को जहर देकर तो नहीं मारा गया। अतः वन विभाग ने कोविड-19, पेरासाइट, वैक्टीरियल इंफेक्शन, सामान्य जहर और वेरासाइट सहित सभी तरह की जांच करवाई थी, जिससे कि मौत का सही कारण पता चल सके। अब विसरा रिर्पोट से यह साफ हो गया कि टाईगर (tiger) की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
उल्लेखनीय है कि रणथंभौर नेशनल पार्क से 6 जुलाई 2021, मंगलवार को दस वर्षीय वयस्क नर बाघ का शव खंडार क्षेत्र में खरया चाटा में तैरता हुआ मिला। सूचना मिलते ही रणथंभौर के सीसीएफ टी सी वर्मा, डीएफओ, महेन्द शर्मा, एसीएफ संजीव शर्मा आदि वनाअधिकारी मौके पर पहुंचे और बाघ के शव को कब्जे में कर, नाका राजबाग पहुंचाया गया। जहां रणथंभौर के पशु चिकित्सकों की टीम ने टाइगर(tiger) के शव का पोस्टमार्टम कर जांच के लिये नमूने लिये और बाघ का दाह संस्कार कर दिया गया।
नर बाघ सूरज उर्फ T-65
दस वर्षीय नर बाघ के शव की पहचान T-65 उर्फ सूरज के रूपमें हुई। बाघ T-65, बाघिन T-19 उर्फ कृष्णा के प्रथम प्रसव की संतान थी। बाघिन कृष्णा ने अपना पहला प्रसव फरवरी 2011 में दिया, जिसमें एक मादा (T-63) और दो नर शावक (T-64 और T-65) का जन्म हुआ। जो पहली बार 26 मई 2011 को जोन नंबर दो में दिखाई दिये ।
रणथंभौर प्रोजेक्ट टाईगर (बाघ बचाओ परियोजना) (Project Tiger)
रणथम्भौर प्रोजेक्ट टाईगर 70 से ज्यादा बाघों का घर है, जो 1955 में सवाई माधोपुर वन्यजीव अभयारण्य बना। सन 1973 में, पार्क को प्रोजेक्ट टाईगर घोषित किया गया और 1980 में, इसे नेशनल पार्क का दर्जा हासिल हुआ।