रणथंभौर (Ranthambore ) : जुलाई 30, 2021|
एक युवा और खूबसूरत बाघिन (T-111) पहली बार अपने चार नये और नन्हें शावकों के साथ रणथंभौर बाघ परियोना (Ranthambore Project Tiger) में दिखाई दी। वन विभाग के अनुसार, 20 जून 2021, शनिवार सुबह, रणथंभौर के फील्ड बायोलॉजिस्ट, हरिराम मीणा ने अपने फील्ड विजिट के दौरान चार नये और नन्हें शावकों को जोन चार में देखा, जो बहुत ही दुर्लभ और रोमांचित अनुभव था।
नये शावकों (tiger cubs) की अच्छी खबर आते ही रणथंभौर के मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव एंव क्षेत्र र्निदेशक) टी सी वर्मा ने बाघिन और शावकों के इलाके की मॉनिटरिंग बढ़ा दी, जिससे बाघिन और शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। शावकों की सूचना के आधार पर, शनिवार शाम को ही टी सी वर्मा ने जोन नंबर चार का निरीक्षण किया,जहां बाघिन के साथ चार नन्हें शावकों (tiger cubs) को कुशल मंगल पाया।
वन अधिकारियों के अनुसार, माँ बाघिन की पहचान T-111 के रूप में हुई, जो पहली बार माँ बनी है। शावकों की उम्र दो महीने के आस-पास बताइ गयी।
बाघिन (tigress), वाव् (Waw) उर्फ T-111 पहली बार माँ बनी
रणथंभौर बाघ परियोजना के जोन चार में वाव् उर्फ T-111 एक युवा और खूबसूरत बाघिन है। उसकी उम्र लगभग चार साल प्लस की है। माँ, बाघिन ,T-111 पार्क में पहली बार 23 जून 2017 को जोन चार में दिखाई दी, जो बाघिन कृष्णा (T-19) के तीसरे प्रसव की संतान है।
इस प्रसव में, बाघिन, कृष्णा (T-19) ने चार शावकों को जन्म दिया, जिसमें से तीन शावक ही जीवित बच पाये-दो नर शावक (T-112 और T- 113) और एक मादा शावक (T-111)। रणथंभौर में, माँ बाघिन (T-111), मछली (T-16) के राजकुल से है, क्योंकि बाघिन मछली उसकी की नानी थी, जो विश्व प्रसिद्ध बाघिन थी।
रणथंभौर प्रोजेक्ट टाईगर (Ranthambore Project Tiger) : बाघ बचाओ परियोजना
प्रोजेक्ट टाईगर ; बाघ बचाओ परियोजना की शुरुआत ७ अप्रैल को हुई थी। इसके अन्तर्गत आरम्भ में ९ बाघ अभयारण्य बनाए गए थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। सरकारी आकडों के अनुसार 2006 में १४११ बाघ बचे हुए है। 2010 में जंगली बाघों की संख्या 1701 हो गयी है। 2226 बाघ 2014 में प्राकृतिक वातावरण में थे। यह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजना है। अखिल भारतीय बाघ रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत में बाघों की संख्या 2967 है । Read in English