रणथंभौर | 17सितम्बर 2021।
English Name- Sloth bear / Indian Sloth bear/ Labiated Bearसाधारण नाम- रीछ/भालू/
वैज्ञानिक नाम- Melursus ursinus
रणथंभौर में पिछले कुछ सालों से पर्यटक को भालुओं (Sloth bear) के दर्शन लाभ भी मिलने लगे हैं, जिसका मतलब है कि रणथंभौर में भालूओं की संख्या बढ़ रही है।
वनविभाग की गणना के मुताबिक 2014-15 में 70, 2015-16 में 80, 2016-17 में 88, 2017-18 में 90, 2018-19 में 93, 2019-20 में 97, 2020-21 में 98 भालू, रणथंभौर बाघ परियोजना में मिले थे।
अतः रिर्पोट के अनुसार, रणथंभौर में धीरे-धीरे भालुओं का कुनबा बढ़ रहा है।
शारीरिक बनावटलंबाई-5 से 6 फीट
वजन- 90 से 140 किलोग्राम
शरीर पर मोटा काला या गहरा भूरा रंग का झबरा फरवाला कोट
छाती पर "V" आकार की सफेद आकृति
थूथन हल्के रंग के होते हैं।
पंजे घुमावदार होते हैं।
किसी भी वनक्षेत्र में, भालुओं का होना या भालुओं की वंश वृद्धि होने का अर्थ है कि उस वनक्षेत्र को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होना क्योंकि दीमक, रीछों का पसंदीदा आहार में से एक है। अतः भालू, दीमक (Termite) की बाम्बी और पेड़-पौधों में लगी दीमक को बहुत ही चाव से खाते हैं, जिससे दीमक की आबादी नियंत्रण में रहती है और वनस्पति को जीवनदान मिलता है। वही दीमक की बाम्बी(Termites mound)को स्वच्छ मीठे पानी की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है, जिसका वर्णन भारत की ’बृहत्संहिता’ में वारामिहिर (507 AD- 587 AD ) ने किया है। अतः भालू और मीठा जल (दीमक) किसी भी वन क्षेत्र के लिये आयुष्मान भवः के आर्शीवाद से कम नहीं होता है।
बिग थ्री गेम जानवर (Big Three Game Animals)रणथंभौर में बिग थ्री गेम जानवर (Big Three Game Animals)-बाघ, तेंदुआ या बघेरा और भालू की धारणा है-
(1) बाघ (Tiger) - रणथंभौर नेशलन पार्क दुनिया का सबसे अच्छा बाघ देखने वाला स्थान है।
(2) तेंदुआ (Leopard) - तेंदुआ को बघेरा के नाम से भी जाना जाता है। बाघों के इलाकों में, तेंदुए बहुत कम विचरण करते हैं, क्योंकि अक्सर बघेरा, बाघ क्षेत्र के बाहरी हिस्सों में या फिर उंचाई वाले प्रांत में रहते हैं। लिहाजा रणथंभौर में तेंदुओं की औसतन साइटिंग 20 से 25 फीसदी है।
(3) भालू (Sloth Bear)- भालुओं की संख्या में इजाफा होने से, उनकी साइटिंग में सुधार हुआ है। रणथंभौर में भालुओं की औसतन साइटिंग तेंदुए की साइटिंग से दुगनी हो गई है। जिसका अभिप्राय है किअब रीछों पर होम वर्क किया जा सकता है।
अतएव रणथंभौर में जहां बिग थ्री गेम जानवर देखने के 20 फीसदी मौके ही होते है, वही भालुओं का कुनबा बढ़ने से, वन्यजीव प्रेमियों को बाघ के साथ-साथ भालुओं का अतिरिक्त मजा मिलने लगा है। मतलब बाघ के साथ, भालू का फ्री़.....What A Big Deal! ।
संरक्षण स्थिति (Conservation Status) :भालुओं की प्रजाति कभी लुप्त होने के कगार पर थी। इसलिये भालुओं को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के मार्च 2016 के आकलन के अनुसार संकटग्रस्त प्रजातियों की “रेड डाटा सूची” / लाल सूची में इसे “असुरक्षित (Vulnerable या VU)” श्रेणी मे रखा गया है।
भालू को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है।
रणथंभौर में भालुओं का कुनबा बढ़ने के कई मायने है-जिसमें पहला है कि भालुओं को, बाघों की तरह रणथंभौर का प्राकृतिक आवास रास आ रहा है, जिस के बारे में सीसीएफ टीकम चंद वर्मा ने कहा कि रणथंभौर में पिछले कुछ सालों में ग्रास लैंड काफी विकसित हुआ है। ग्रास लेंड विकसित होने से भालुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो वन एवं वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से रणथम्भौर के लिए सुखद अनुभव है।
दूसरा संरक्षण पर बने कानून एंव संरक्षण पर काम करने वाले संगठनों के कठिन प्रयासों का नतीजा है, जिस की वजह से गली-गली नाचने वाले भालूओं (Dancing Bears) को रे्स्क्यू सेंटर (Agra Bear Rescue Facility) जैसी सुविधा हासिल हुई। इसके अलावा यह उन सभी वन्यजीव प्रेमियों का प्रयास है जिन्होनें पयर्टक के रूप में रणथंभौर का भ्रमण कर आमजन को जागरूक किया।
अंत में कहा जा सकता है कि सबके सामूहिक प्रयासो के कारण भालुओं की तस्करी पर लगाम लगी और भालुओं को कलंडरस् जैसी जाति (Nomadic tribe known as kalandars) के अत्याचारों एंव शोषण से छुटकारा मिला।
मेरा उन सभी महानभावों को सलाम जो इस मुहिम के हिस्सेदार थे।
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