वनविभाग के अनुसार अप्रेल-मई में मगरमच्छ की नेस्टिंग (nesting) हुई थी। नेस्टों (nest) में, अंड़ों को बाहरी और पानी के वन्यजीवों से बचाने के लिये, विभाग ने जाली लगा दी थी और जीपीएस से लोकेशन को रग्यूलर ट्रेस किया गया।
Crocodile nesting (मादा मगरमच्छ अंड़ा देने से पूर्व गढ्डे खोदती हैं) :मगरमच्छ ( Marsh crocodile) जिसका वैज्ञानिक नाम क्रोकोडायलस पैल्युसट्रिस (crocodylus palustris ) है। जिनका साधारणतय प्रजनन काल मई से जून माह के बीच होता है। प्रजनन काल में मादा मगरमच्छ अंड़े देने से पूर्व नदी व जलाशय के किनारे रेतीली जमीन पर छोटे-छोटे गढ्ड़े खोदती है। इसके बाद, कुछ दिनों के लिये उन गढ्ड़े को खुला छोड़ दिया जाता है। इस दौरान यदि गढ्डे के आसपास कोई खतरा नहीं होता, तो मादा मगरमच्छ उन गढ्डे में अण्डे देती है। मादा अंडों को मिट्टी या रेत के घोंसलों (nesting) में लगभग 3 से 5 फीट की गहराई में दबा देती है, और उनकी रात-दिन रखवाली करती हैं। मादा मगरमच्छ के अंड़े से जून और जुलाई माह में ही बच्चे निकलते हैं। जब बच्चे अंडे से निकलने वाले होते हैं, तो आवाज करते हैं। इस आवाज को सुनकर मादा मगरमच्छ घोंसलों (nest) से मिट्टी हटाकर बच्चों को बाहर निकाल लेती है और अपने मुँह में दबाकर सीधा पानी ले जाती है। अंड़े से निकलने वाले बच्चों की अनुमानित लंबाई लगभग 6 इंच तक की होती है।
चंबल नदी की बाह रेंज में मादा मगरमच्छों ने 12 स्थानों पर घोसलें (nesting) बनाये, जिनमें से 481 मगरमच्छ शिशुओं का जन्म हुआ, पिछले वर्ष केवल 4 घोंसलों (nest )ही मिले थे, जिनसे 163 शिशुओं का जन्म हुआ था।
एक मादा मगरमच्छ, एक बार में 3 से 40 अंडे तक दे सकती है। लेकिन वाइल्ड ऐरिया में, मगरमच्छ के बच्चों के बाहरी और पानी के वन्यजीवों के हमले के कारण बचने के बहुत कम चांस होते हैं। ऐसा माना जाता है कि 99 फीसदी मगरमच्छ वयस्क होने से पहले ही मर जाते हैं या फिर किसी जानवर का शिकार हे जाते हैं।
मगरमच्छों (Marsh crocodile) की संख्या हुई दोगुनी :वनविभाग की वार्षिक गणना के अनुसार, घड़ियाल सेंक्च्यूरी में, मगरमच्छ का वंश बढ़ रहा है। वार्षिक गणना के अनुसार : 2016 में 454, 2017 में 562, 2018 में 613, 2019 में 706, 2020 में 710, 2021 में 882 मगरमच्छ (crocodile) चंबल नदी में मिले थे। आंकड़ों के अनुसार मगरमच्छ का कुनवा बढ़ रहा है, जो छः वर्षो में दो गुना हो गया है।
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य :राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) की स्थापना सन् 1979 में चंबल नदी पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के त्रिबिन्दु क्षेत्र में हुई, जो 5400 वर्ग किमी (2100 वर्ग मील) में फैला हुआ है। चंबल नदी में, इस अभयारण्य की कुल लंबाई 425 किलोमीटर है। इसे राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) भी कहा जाता है। यह अभयारण्य भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act of 1972) के तहत संरक्षित क्षेत्र है। जिसकी स्थापना का मुख्य उद्देष्य विलुप्तप्राय घड़ियाल (Gavialils gangeticus), लाल मुकुट कछुआ (Red crown tortoise), जिसका वैज्ञानिक नाम Batagur Kachuga , गंगा सूंस (Gangetic River Dolphin ) की रक्षा करना है।
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